Battle of Jamaica: ऐसा सा लग रहा था कि भारतीय टीम ने तीसरे टेस्ट मैच में जीत के बाद वेस्टइंडीज़ के गेंदबाज़ों से दुश्मनी मोल ली है। चौथे टेस्ट में भारत की शानदार शुरुआत भी कैरिबियाई कप्तान क्लाइव लायड को हज़म नहीं हुई।
गावस्कर-गायकवाड़ की साझेदारी और होल्डिंग का कहर
सुनील गावस्कर और अंशुमान गायकवाड़ ने बेहतरीन शुरुआत की, स्कोर 100 के पार पहुँचा। तभी माइकल होल्डिंग की तेज़ गेंदों ने मोर्चा संभाला। उनका पहला शिकार बने गायकवाड़, जिनके कान पर गेंद लगते ही मैदान पर खून बहने लगा।
घायल गायकवाड़ और अस्पताल का मंजर
गायकवाड़ की पसलियों और अंगुलियों में पहले से ही चोट थी। इस बार कान में गंभीर चोट लगने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। सरकारी अस्पताल की हालत देख टीम ने उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया।
वन मोर इज़ कमिंग कैरिबियाई मज़ाक
गायकवाड़ अभी स्ट्रेचर पर थे कि किसी ने कैरिबियाई हँसी में कहा, “वन मोर इज़ कमिंग।” पता चला ब्रजेश पटेल भी घायल होकर अस्पताल पहुँच चुके हैं।
जमैका का “नो प्रॉब्लम” रवैया और दर्दनाक इलाज
गायकवाड़ को एक्स-रे के लिए खंभे जैसी चीज़ पर लटकाया गया। वहाँ “नो प्रॉब्लम” संस्कृति इतनी गहरी थी कि किसी को उनकी तकलीफ़ की परवाह नहीं थी। बाद में उनके सिर को दो क्लैंप के बीच फँसाकर स्थिर रखा गया, और जानवरों जैसे बड़े इंजेक्शन दिए गए।
भारतीय टीम की हालत — मैदान पर कोई भी पूरी तरह फिट नहीं
भारतीय टीम की पहली पारी 306 पर घोषित हुई। चंद्रशेखर ने 5 विकेट लेकर इंग्लैंड को 391 पर समेटा। लेकिन भारतीय टीम में कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं था जिसे चोट न लगी हो। दूसरी पारी में सिर्फ़ 6 बल्लेबाज़ ही मैदान पर उतर सके। 5 बल्लेबाज़ तो इतनी बुरी हालत में थे कि क्रीज़ पर पहुँच ही नहीं सकते थे।
वेस्टइंडीज़ की जीत और भारतीय टीम की दर्दनाक वापसी
वेस्टइंडीज़ को सिर्फ़ 13 रन का लक्ष्य मिला, जिसे उन्होंने बिना विकेट खोए हासिल कर लिया। इस तरह उन्होंने सीरीज़ 2-1 से जीत ली। पर इतिहास में यह दर्ज हो गया कि उन्हें 20 में से सिर्फ़ 11 विकेट ही मिले — बाक़ी बल्लेबाज़ मैदान पर ही नहीं उतरे।
गायकवाड़ की ज़िद और भारत वापसी
डॉक्टर चाहते थे कि गायकवाड़ और कुछ दिन अस्पताल में रहें। लेकिन उन्हें डर था कि टीम उन्हें छोड़कर चली जाएगी। उन्होंने पाली उमरीगर को खुद चलकर दिखाया कि वो ठीक हैं।
पट्टियों में लिपटी टीम इंडिया की घर वापसी
जब भारतीय टीम स्वदेश लौटी, तो खिलाड़ी पहचान में नहीं आ रहे थे। गायकवाड़, ब्रजेश पटेल और गुंडप्पा विश्वनाथ के शरीर पर जगह-जगह पट्टियाँ बँधी थीं — यह सीरीज़ उनके लिए एक जंग की तरह साबित हुई थी।