Pratika Rawal Father Dream: भारत की युवा बल्लेबाज प्रतीका रावल आज महिला क्रिकेट विश्व कप में भारत के लिए चमकता सितारा बन चुकी हैं। यह लेख बताता है कि कैसे उनके पिता के अधूरे सपने ने उनकी बेटी को क्रिकेट की ऊंचाइयों तक पहुंचाया। इसमें प्रतीका की बचपन की शुरुआत, कोचिंग, पढ़ाई, मानसिक मजबूती और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक की यात्रा का जिक्र किया गया है।
दिल्ली से शुरू हुई सपनों की कहानी
दिल्ली में जन्मी प्रतीका रावल का क्रिकेट सफर तीन साल की उम्र में शुरू हुआ। उनके पिता प्रदीप रावल, जो खुद यूनिवर्सिटी लेवल के क्रिकेटर और बीसीसीआई के लेवल 2 अंपायर हैं, ने अपनी बेटी को वो सिखाया जो वे खुद कभी नहीं पा सके। वे कहते हैं, मैंने हमेशा बेटी और बेटे में फर्क नहीं किया। बेटा इंजीनियर है, लेकिन बेटी भारत के लिए क्रिकेट खेल रही है इससे बड़ी खुशी और क्या होगी।
प्रतीका के पिता ने अपनी बेटी में बहुत कम उम्र में ही एक असाधारण प्रतिभा देख ली थी। जब वह सिर्फ 10 साल की थीं, उन्होंने स्कूल मैच में सीनियर टीम के खिलाफ 50 से ज्यादा रन बनाए और तभी सबको अहसास हो गया कि यह बच्ची कुछ बड़ा करेगी।

कोच दीप्ति ध्यानी का मार्गदर्शन
जैसे-जैसे प्रतीका आगे बढ़ीं, उनकी मुलाकात हुई पूर्व भारतीय खिलाड़ी दीप्ति ध्यानी से, जिन्होंने उन्हें पेशेवर क्रिकेट की राह दिखाई।
दीप्ति कहती हैं, “जब मैंने प्रतीका को बल्लेबाजी करते देखा, तो लगा कि यह लड़की क्रिकेट के लिए बनी है। उसमें अनुशासन था, मेहनत थी, और हर बार वह अपने खेल में सुधार करती रही।
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दीप्ति ने प्रतीका को फिटनेस और मानसिक मजबूती का महत्व समझाया। प्रतीका ने इसे दिल से अपनाया और अपने खेल में गहराई से मेहनत की। फिटनेस के साथ-साथ उन्होंने पढ़ाई में भी मन लगाया और साइकोलॉजी (Psychology) में डिग्री हासिल की।
उनके पिता कहते हैं, क्रिकेट में दिमाग का खेल बहुत बड़ा होता है। मनोविज्ञान ने उसे समझने में मदद की कि बॉलर क्या सोच रहा है, और कब कौन-सी रणनीति अपनानी है।

धैर्य, संघर्ष और सफलता की उड़ान
कई घरेलू टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन के बावजूद प्रतीका को वुमेन्स प्रीमियर लीग (WPL) की नीलामी में नजरअंदाज कर दिया गया।
लेकिन किस्मत ने कुछ और ही लिखा था — कुछ ही हफ्तों बाद उन्हें भारतीय टीम में मौका मिला। दिसंबर 2024 में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ उन्होंने डेब्यू किया और अपने छठे ही मैच में आयरलैंड के खिलाफ 154 रन ठोककर सभी को हैरान कर दिया।
आज प्रतीका का वनडे औसत लगभग 50 के करीब है जो बताता है कि वह भारत की नई बैटिंग स्टार हैं। विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने स्मृति मंधाना के साथ 155 रन की ओपनिंग साझेदारी कर भारतीय टीम को मजबूत शुरुआत दी।
Pratika Rawal isn’t your usual cricketer. Scored 90%+ in boards, studied psychology, won gold in basketball, and is now India’s batting mainstay at the #WomensWorldCup2025.
— Mohsin Kamal (@64MohsinKamal) October 18, 2025
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पिता का यकीन और बेटी की मेहनत
प्रतीका के पिता प्रदीप रावल आज भी अपनी बेटी के हर मैच में भावनाओं से भर उठते हैं। वे कहते हैं, “मैंने अपने अधूरे सपने बेटी में पूरे होते देखे हैं। मैं जानता हूं कि वह भारत को यह वर्ल्ड कप जिताएगी। जो भी जिम्मेदारी उसे मिली है, वह उसे पूरी निष्ठा से निभा रही है।”
यह कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं, बल्कि उस पिता की भी है जिसने अपनी बेटी पर विश्वास किया और समाज की सोच से ऊपर उठकर उसे आजाद उड़ान दी।
FAQs
Q1. प्रतीका रावल कहां की रहने वाली हैं?
प्रतीका रावल दिल्ली की रहने वाली हैं और उन्होंने यहीं से अपना क्रिकेट सफर शुरू किया।
Q2. प्रतीका रावल ने भारत के लिए कब डेब्यू किया?
उन्होंने दिसंबर 2024 में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ वनडे मैच से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया।
Q3. प्रतीका रावल का शैक्षणिक बैकग्राउंड क्या है?
प्रतीका ने मनोविज्ञान (Psychology) में डिग्री हासिल की है, जिससे उन्हें क्रिकेट के मानसिक पहलुओं को समझने में मदद मिलती है।
Q4. प्रतीका रावल की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है?
उनकी सबसे बड़ी पारी आयरलैंड के खिलाफ 154 रनों की रही, जिसने उन्हें सुर्खियों में ला दिया।
Q5. उनके पिता प्रदीप रावल का पेशा क्या है?
प्रदीप रावल बीसीसीआई के लेवल-2 अंपायर हैं और यूनिवर्सिटी लेवल पर क्रिकेट खेल चुके हैं।
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