Aakash Chopra: क्रिकेट जगत में अलग-अलग फॉर्मेट के लिए अलग कप्तान बनाने का चलन कई देशों में देखा गया है। कुछ देशों में तो तीनों फॉर्मेट टेस्ट, वनडे और टी20 के लिए तीन अलग कप्तान होते हैं। लेकिन भारत में यह फॉर्मूला कम ही अपनाया गया है। आमतौर पर एक कप्तान सभी फॉर्मेट में टीम की अगुवाई करता रहा है।
हाल के वर्षों में भारत में यह ट्रेंड थोड़ा बदला है। 2021 के बाद से टेस्ट और वनडे की कप्तानी रोहित शर्मा के पास रही, जबकि टी20 में हार्दिक पांड्या और सूर्यकुमार यादव को अलग-अलग मौकों पर कमान सौंपी गई। अब खबर आ रही है कि टीम इंडिया में तीनों फॉर्मेट के लिए तीन अलग कप्तान नियुक्त करने पर विचार हो रहा है।
मौजूदा कप्तानों की स्थिति
फिलहाल वनडे टीम की कप्तानी रोहित शर्मा कर रहे हैं, टी20 की बागडोर सूर्यकुमार यादव के पास है, जबकि टेस्ट टीम की कमान शुभमन गिल को दी गई है। यह प्रयोग टीम प्रबंधन के लिए एक बड़ा बदलाव हो सकता है, लेकिन इसके फायदे और नुकसान को लेकर क्रिकेट जगत में बहस छिड़ गई है।

Aakash Chopra का तर्क
पूर्व क्रिकेटर आकाश चोपड़ा ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए कहा कि क्रिकेट में कप्तान की भूमिका बहुत अहम होती है। फुटबॉल जैसे खेलों में मैनेजर मैदान के बाहर से खेल को नियंत्रित करता है, लेकिन क्रिकेट में मैदान पर कप्तान को खुद फैसले लेने होते हैं। ऐसे में निरंतरता बेहद जरूरी है।
चोपड़ा का मानना है कि दो कप्तानों का कॉन्सेप्ट एक टेस्ट के लिए और दूसरा वाइट-बॉल फॉर्मेट (वनडे और टी20) के लिए—तो समझ में आता है, लेकिन तीन कप्तानों से चीजें जटिल हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि तीनों फॉर्मेट में कुछ न कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जो ओवरलैप करते हैं, यानी सभी में खेलते हैं।
खिलाड़ियों पर पड़ने वाला असर
आकाश चोपड़ा ने उदाहरण देते हुए कहा कि शुभमन गिल और केएल राहुल टेस्ट और वनडे खेलते हैं, जबकि जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज तीनों फॉर्मेट में खेलते हैं। अगर हर फॉर्मेट में कप्तान बदलता रहेगा तो खिलाड़ियों को बार-बार अलग सोच, रणनीति और नेतृत्व शैली के साथ तालमेल बैठाना पड़ेगा। इससे टीम का प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है।
उन्होंने बताया कि बुमराह और सिराज जैसे खिलाड़ी गिल की कप्तानी में टेस्ट खेलेंगे, रोहित शर्मा की कप्तानी में वनडे और सूर्यकुमार यादव की कप्तानी में टी20। ऐसे में उनके लिए हर बार कप्तान की सोच और खेलने के तरीके के साथ सामंजस्य बैठाना मुश्किल हो जाएगा।
Not letting Gautam Gambhir and co near the square at the Oval – Double standards much? 🤔 #Aakashvani #ENGvsIND pic.twitter.com/NALsH3y7Al
— Aakash Chopra (@cricketaakash) July 29, 2025
सुझाया गया समाधान
आकाश चोपड़ा ने सुझाव दिया कि इस कंफ्यूजन से बचने के लिए तीन कप्तानों का फॉर्मूला छोड़ देना चाहिए। इसके बजाय एक वाइट-बॉल कप्तान (वनडे और टी20 दोनों के लिए) और एक टेस्ट कप्तान होना बेहतर रहेगा। इससे खिलाड़ियों को एक जैसी सोच और रणनीति के साथ खेलने का मौका मिलेगा और टीम का तालमेल भी मजबूत रहेगा।
निष्कर्ष
टीम इंडिया के लिए तीन कप्तानों का प्रयोग एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि यह फॉर्मूला लंबे समय तक काम करे। अब देखना होगा कि बोर्ड इस विचार को अपनाता है या आकाश चोपड़ा की तरह दो कप्तानों का संतुलित फॉर्मूला चुनता है। आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है? क्या आपको लगता है कि तीन कप्तानों से टीम इंडिया का प्रदर्शन बेहतर होगा या फिर इससे कंफ्यूजन बढ़ेगा?