India into the 1983 Final: असल में तो किसी को इस बात की उम्मीद ही नहीं थी कि भारत 1983 विश्व कप के फाइनल में पहुँचेगा। ख़ास तौर पर मोहिंदर अमरनाथ और यशपाल शर्मा सेमीफाइनल में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ जिस सुस्त अंदाज़ में बल्लेबाज़ी कर रहे थे, उससे तो यह बात और पक्की दिख रही थी कि विश्व कप में भारत का सफर थमने वाला है। भारत को जीत के लिए 214 रन चाहिए थे। स्कोरबोर्ड पर 50 रन जोड़ने के बाद सुनील गावस्कर और श्रीकांत दोनों पविलियन लौट चुके थे। क्रीज़ पर मोहिंदर अमरनाथ और यशपाल शर्मा बहुत इत्मीनान से बल्लेबाज़ी कर रहे थे।
चायकाल तक विकेट बचाए रखना था मकसद
ये उन दिनों की बात है जब वनडे मैच 60 ओवरों का हुआ करता था और टी-टाइम (चायकाल) भी हुआ करता था। टी टाइम पर जब मोहिंदर अमरनाथ और यशपाल शर्मा ड्रेसिंग रूम पहुँचे तो पूरी टीम का मुँह बना हुआ था। अमरनाथ समझ गए कि खिलाड़ी उनकी सुस्त बल्लेबाज़ी से नाराज़ हैं। अमरनाथ ने तुरंत कप्तान कपिल देव को जाकर बताया कि वो बिल्कुल फिक्र न करें। उन्हें पता है कि वो क्या कर रहे हैं। अमरनाथ का कहना था कि वो सिर्फ इतना चाहते थे कि टी-टाइम तक टीम का कोई और विकेट न गिरे। कप्तान कपिल देव को पता था कि मोहिंदर अमरनाथ जो कह रहे हैं सोच-समझ कर कह रहे हैं।
चाय कल के बाद बदला मैच का मिजाज
टी-टाइम के बाद जब मोहिंदर अमरनाथ और यशपाल शर्मा दोबारा क्रीज़ पर आए तो मैच बदला-बदला सा दिखने लगा। मोहिंदर अमरनाथ ने इयान बॉथम की गेंद को सीधा बाउंड्री पार भेजा और यशपाल शर्मा ने बॉब विलिस के पसीने छुड़ा दिए। इसके पहले का दिलचस्प क़िस्सा यह भी है कि बॉब विलिस ने भारत के दौरे पर यशपाल शर्मा को अपशब्द कहे थे। यशपाल उसका बदला लेने के लिए बेकरार थे। उन्होंने बॉब विलिस को चौके पर चौके जड़े। अमरनाथ जब आउट हुए तो भारत को जीत के लिए 75 रनों की जरूरत थी और अच्छे खासे ओवर बचे हुए थे। जब वो ड्रेसिंग रूम में पहुँचे तो उन्होंने देखा कि खिलाड़ियों के चेहरे पर मुस्कान थी।
संदीप पाटिल की तूफानी पारी और जीत
अमरनाथ के आउट होने के बाद संदीप पाटिल मैदान में आए थे। उन्होंने ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी की। सिर्फ़ 32 गेंद पर 51 रन जड़ दिए। भारत की जीत अब पक्की थी। विनिंग शॉट भी पाटिल के बल्ले से ही निकला। मोहिंदर अमरनाथ को उनके आलराउंड प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द मैच दिया गया। उन्होंने 46 रन बनाने के साथ-साथ 2 विकेट भी लिए थे।
सेमीफाइनल के बाद अमरनाथ की गलती
लेकिन सेमीफाइनल जीतने के बाद मोहिंदर अमरनाथ से फिर एक ग़लती हो गई जिससे बाक़ी टीम नाराज़ थी। हुआ यूँ कि फाइनल से पहले यह तय हुआ था कि भारतीय टीम सुबह के समय ही नेट्स कर लेगी, जिससे शाम का वक्त ‘फ्री’ रहे और खिलाड़ी आराम कर सकें।
कपिल देव और अमरनाथ सोते रह गए
कप्तान और उप कप्तान को ‘सिंगल रूम’ मिला था। हालाँकि सिंगल रूम होने के बाद भी मोहिंदर अमरनाथ को ज़मीन पर सोना पड़ता था क्योंकि उनकी पत्नी और बेटी भी साथ ही रहते थे। हालाँकि जिमी बताते हैं कि उन्हें इंग्लैंड के होटल्स के मुलायम गद्दों से ज़्यादा अच्छी नींद ज़मीन पर आती है। खैर, हुआ यूँ कि प्रैक्टिस वाली सुबह मोहिंदर अमरनाथ की नींद नहीं खुली। जब वह जागे तो देखा कि सभी खिलाड़ी प्रैक्टिस लिए मैदान जा चुके हैं। अमरनाथ जल्दी-जल्दी तैयार हुए। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि देर से जागने वालों में टीम का एक और खिलाड़ी था। यो खिलाड़ी थे खुद कप्तान कपिल देव। कपिल और जिमी दोनों जल्दी-जल्दी स्टेडियम पहुँचे। वहाँ साथी खिलाड़ियों के चेहरे बता रहे थे कि वो नाराज़ हैं।
फाइनल से पहले विवियन रिचर्ड्स की टिप्पणी
कपिल और जिमी दोनों के लिए भी यह शर्मनाक था कि ज़िंदगी के सबसे बड़े मैच से पहले वो देर तक सोते रहे। खैर, इस मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं हुई। बस इतना तय हुआ कि सेमीफाइनल वाली टीम ही फाइनल में मैदान पर उतरेगी। उसी दिन की बात है जब नेट्स से पहले पविलियन की तरफ़ जाते वक्त विवियन रिचर्ड्स ने मोहिंदर अमरनाथ से कहा था कि उनकी टीम भारत के फाइनल में पहुँचने पर बहुत खुश है।
फाइनल में श्रीकांत और अमरनाथ की अहम साझेदारी
खैर, फाइनल का दिन भी आ गया। जोएल गार्नर श्रीकांत को लगातार बाउंसर फेंक रहे थे। श्रीकांत ने इससे बचने का तरीका निकाला। उन्होंने मोहिंदर अमरनाथ से कहा कि वो जोएल गार्नर की ज़्यादा से ज़्यादा गेंदों का सामना करें। जिमी ने ऐसा ही किया। दोनों के बीच ठीक ठाक साझेदारी हुई। श्रीकांत ने मुश्किल विकेट पर ख़तरनाक गेंदबाज़ों के सामने 38 रनों की अहम पारी खेली, जो भारत की तरफ़ से सबसे ज़्यादा स्कोर था।
भारत की कम स्कोर लेकिन मजबूत हिम्मत
उन्हें Westindies के खिलाड़ी वैसे भी ‘मैड मैन’ कहते थे। लेकिन भारतीय टीम सिर्फ 183 रन पर ऑल आउट हो गई थी। दिलचस्प बात यह है कि उस मैच में Joel Garner ने Malcolm Marshall, Michael holding और Andy roberts से भी ज़्यादा किफायती गेंदबाज़ी की थी।
गेंदबाज़ी की बारी अब भारत की थी। लंच पर भारतीय टीम के खिलाड़ियों ने एक साथ सिर्फ़ एक पंक्ति कही- let’s do it। सुनील गावस्कर ने टीम के सीनियर खिलाड़ी होने के नाते यह ज़रूर कहा कि चलो जवानो, लड़ेंगे। और मैदान पर आ गए
India के वर्ल्ड कप जीत के बाद Westindies आए आंसू
वर्ल्ड कप जीत की तस्वीरें हम सभी के जेहन में अब भी ताज़ा हैं। मैच ख़त्म होने के बाद भारतीय टीम जब वेस्टइंडीज़ के खिलाड़ियों के ड्रेसिंग रूम में पहुँची तो कई खिलाड़ी वाक़ई रो रहे थे। वहीं भारतीय टीम ने शैपेंन की ढेरों बोतलें भी देखीं जो इस उम्मीद के साथ ड्रेसिंग रूम में रखी गई थीं कि जीत के बाद जश्न मनाने के काम आएँगी। लेकिन ऐसा नहीं हो सका
Final मैच ने मोहिंदर अमरनाथ बने Man of the Match
फाइनल में भी मोहिंदर अमरनाथ को मैन ऑफ द मैच दिया गया। उन्होंने 26 रन बनाने के साथ-साथ 3 विकेट भी लिए थे। ज़ाहिर है कपिल और जिमी की नींद न खुलने पर खिलाड़ियों की नाराज़गी दूर हो चुकी थी।